भवन निर्माण सामग्री के मूल्यों में भारी वृद्धि, अपना मकान बनाने का सपना हुआ ध्वस्त
पंचकूला, 24 जुलाई (निस)। पंचकूला में भवन निर्माण सामग्री के मूल्यों में भारी वृद्धि तथा प्रवासी मजदूरों की कमी के कारण रिहायशी मकानों व वाणिज्यिक भवनों के निर्माण का काम लगभग ठप हो जाने के कगार पर पहुंच गया है। कई प्लाटधारकों ने बताया कि ईंटों, रेत, बजरी, सीमेंट तथा लोहे की कीमतों में एक वर्ष के दौरान हुई अभूतपूर्व वृद्धि के चलते अब उनका अपना मकान बनाने का सपने ध्वस्त होता हुए नजर आ रहा है।
उन्होंने बताया कि गत वर्ष एक हजार ईंटों का ट्रक 3500 रुपये में मिलता था, उसकी कीमत जून में इस वर्ष 5500 रुपये हो गई है। इसी तरह 300 क्यूबिक फुट रेत तथा बजरी की कीमत 3200 रुपये से बढ़कर इस वर्ष 10 हजार रुपये हो गई है। 50 किलो सीमेंट का थैला अब 300 रुपये में मिल रहा जोकि गत वर्ष 235 रुपये में उपलब्ध था।
उन्होंने बताया कि इसी तरह लोहे की कीमतों में गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस प्रकार कुल निर्माण लागत में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी तरह मजदूर की उजरत जो गत वर्ष 150 रुपये दैनिक थी, इस वर्ष 300 वर्ष रुपये हो गई है। उन्होंने बताया कि रेत, बजरी आदि के खनन पर लगे प्रतिबंध के कारण भी इसकी कीमतों में भारी वृद्धि हुई है क्योंकि अब रेत, बजरी आदि राजस्थान, हिमाचल तथा पंजाब के दूरवर्ती क्षेत्रों से पंचकूला आ रही है। उन्होंने बताया कि मजदूरों की संख्या में भारी कमी इसलिए आई है क्योंकि उत्तर प्रदेश, बिहार तथा राजस्थान आदि राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूर अब अपने गृह राज्यों में ही मनरेगा स्कीम के तहत 100 दिनों का गारंटीशुदा रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।